Sunita gupta

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दैनिक प्रतियोगिता हेतु स्वैच्छिक विषय औरत,,स्त्री,,

#स्त्री
यूँ तो दिए गए कई नाम
किसी ने देवी कहा
किसी ने लक्ष्मी
किसी ने अन्नपूर्णा कहा
और किसी ने शक्ति
पर...
क्या सही मायने में
सिर्फ स्त्री ही समझ पाये उसे
गृहस्वामिनी नाम दे दिया
पर क्या घर पर अधिकार दे पाये
उसने मकान को घर बनाया
उसने अनाज को पकवान बनाया
उसने तुम्हारा वंश बढाया
उसने अपने जीवन को 
पूरा समर्पित कर दिया
ताकि तुम बन सको
सम्पूर्ण पुरुष..
वो पूरी की पूरी घुल गई
ताकि तुम अधूरे न रहो
पर क्या तुम सुन पाये
वो शब्द जो उसने कहे नहीं
पर क्या तुम देख पाये
वो सूनी आँखें जिनमें तलाश थी
एक टुकड़ा वजूद का
क्या तुम दे पाये उसे
एक टुकड़ा खुशी उसकी आँखों में
क्या तुम दे पाये
कुछ जगहों पर वो घर…..
जिस पर तख्ती तो उसके नाम की थी
पर जिसे वो अपना कहने को आज भी तरसती है..!

   🌹🙏शुभ दोपहर 🙏🌹

सुनीता गुप्ता ,"सरिता" कानपुर 

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7 Comments

Suryansh

10-Oct-2022 05:26 PM

Very nice poetry

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Pratikhya Priyadarshini

09-Oct-2022 01:06 AM

Bahut khoob 🙏🌺

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Raziya bano

07-Oct-2022 10:15 PM

बहुत खूब

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